चाँद और गधा

चाँद और गधा
चाँद और गधा

पात्र:

  1. गधा (बीरू) – एक भोला और मेहनती गधा
  2. चाँद – स्वच्छंद और दयालु
  3. बूढ़ा किसान (रामू काका) – गधे का मालिक

दृश्य 1: गाँव का दृश्य – रात का समय

(गाँव के खेतों में हल्की चाँदनी फैली हुई है। पास में एक बँधा हुआ गधा आसमान की ओर टकटकी लगाए देख रहा है।)

गधा (बीरू) (आसमान की ओर देखकर, सोचते हुए)
“वाह! कितना सुंदर और चमकदार है यह चाँद! मैं भी इसकी तरह चमकना चाहता हूँ। पर मैं तो बस एक साधारण गधा हूँ… सारा दिन मेहनत करता हूँ और कोई मेरी तारीफ भी नहीं करता।”

(गधा उदास होकर आहें भरता है। तभी चाँद धीरे-धीरे उससे बातें करने लगता है।)

चाँद (मुस्कुराते हुए)
“बीरू, तुम क्यों इतने उदास लग रहे हो?”

गधा (हैरानी से)
“अरे! चाँद देवता! आप मुझसे बात कर रहे हैं?”

चाँद (हँसते हुए)
“हाँ, क्यों नहीं? मैं हर रात धरती को देखता हूँ और सबकी बातें सुनता हूँ। बताओ, तुम्हें क्या परेशानी है?”

गधा (उदास होकर)
“मुझे कोई पसंद नहीं करता। लोग मुझे बेवकूफ समझते हैं, बस सामान ढोने के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन मैं भी कुछ खास बनना चाहता हूँ। क्या मैं भी तुम्हारी तरह चमक सकता हूँ?”


दृश्य 2: चाँद की सीख

(चाँद थोड़ी देर सोचता है और फिर मुस्कुराकर गधे को समझाने लगता है।)

चाँद
“बीरू, मैं चमकता हूँ क्योंकि मैं सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करता हूँ। खुद से मेरा कोई प्रकाश नहीं है। लेकिन तुम्हारी चमक तुम्हारे कर्मों में छुपी है। अगर तुम अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करोगे, तो लोग तुम्हें भी सम्मान देंगे।”

गधा (हैरानी से)
“पर मेरा काम तो बस सामान ढोना है, इसमें क्या खास बात है?”

चाँद
“हर काम की अपनी कीमत होती है। सोचो, अगर तुम किसान रामू काका का सामान न ढोओ, तो उनका काम कैसे होगा? तुम्हारी मेहनत से ही खेतों में अनाज पहुँचता है, जिससे सारा गाँव भोजन करता है।”

(गधा कुछ देर सोचता है और फिर धीरे-धीरे समझने लगता है।)

गधा (मुस्कुराते हुए)
“अब मैं समझ गया, चाँद देवता! मैं भी अपनी मेहनत से चमक सकता हूँ।”


दृश्य 3: गधे की मेहनत और सफलता

(अगली सुबह, गधा पहले से ज्यादा उत्साह के साथ काम करता है। उसकी ईमानदारी और मेहनत देखकर किसान रामू काका उसे दुलारते हैं।)

रामू काका (गधे को प्यार से थपथपाते हुए)
“बीरू, तू सच में बहुत मेहनती है। तेरे बिना मेरा काम ही नहीं चलेगा!”

(गधा गर्व से मुस्कुराता है और रात को फिर चाँद की ओर देखता है। चाँद उसे देखकर मुस्कुरा देता है।)


सीख:

“हर व्यक्ति की अपनी खासियत होती है। ईमानदारी और मेहनत से किया गया काम ही असली चमक लाता है।”

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VED PRAKASH SINGH

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