प्रस्तावना:
रिद्धिमा एक छोटे से शहर की आम लड़की है, जो एक बड़े सपने के साथ दिल्ली आती है। वह एक लाइब्रेरी में काम करती है और खाली समय में अपने ब्लॉग पर कहानियां लिखती है। उसकी जिंदगी सामान्य चल रही थी, जब तक कि उसे लाइब्रेरी के एक कोने में रखी एक पुरानी डायरी नहीं मिलती।
कहानी की शुरुआत:
डायरी धूल से भरी हुई थी। उस पर एक नाम लिखा था—”अद्वैत”। उत्सुकता से, रिद्धिमा ने डायरी खोली। पहला पन्ना पढ़ते ही वह हैरान रह गई। डायरी एक ऐसे शख्स की थी, जिसने प्यार, संघर्ष, और एक अनसुलझे अपराध की कहानी बयां की थी।
अद्वैत ने अपनी जिंदगी के सबसे बड़े राज इस डायरी में लिखे थे। डायरी के आखिरी पन्ने पर लिखा था,
“अगर यह डायरी तुम्हारे हाथ लगी है, तो समझो तुम्हें मेरी कहानी पूरी करनी है। लेकिन ध्यान रहे, यह कहानी तुम्हें सच और झूठ के बीच फंसा देगी।”
सस्पेंस और ट्विस्ट:
रिद्धिमा ने डायरी के आधार पर एक कहानी लिखनी शुरू की और उसे अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर दिया। पहले ही दिन हजारों लोगों ने कहानी पढ़ी। सबको यह लगता था कि यह केवल एक फिक्शन है।
लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी, रिद्धिमा को अजीब फोन कॉल्स आने लगे। किसी ने उसे चेतावनी दी:
“इस डायरी को छोड़ दो। ये तुम्हारी सोच से ज्यादा खतरनाक है।”
रिद्धिमा ने डर के बावजूद डायरी पढ़नी जारी रखी। उसने अद्वैत के बारे में गहराई से रिसर्च की और पता चला कि अद्वैत एक रहस्यमय मौत का शिकार हुआ था, और उसकी डायरी में लिखी बातें सच हो सकती हैं।
क्लाइमेक्स:
रिद्धिमा को समझ में आया कि अद्वैत ने अपनी डायरी में उस व्यक्ति का नाम छुपा रखा था, जिसने उसकी हत्या की थी। उसने डायरी के छुपे हुए कोड्स को सुलझाने की कोशिश की।
आखिरकार, डायरी ने उसे एक खतरनाक गुप्त ठिकाने पर पहुंचाया, जहां उसे अद्वैत की हत्या से जुड़े सबूत मिले। रिद्धिमा ने सबूतों को पुलिस के हवाले कर दिया।
अंत:
अद्वैत की डायरी के कारण रिद्धिमा का ब्लॉग वायरल हो गया। उसकी बहादुरी की कहानी हर किसी की जुबां पर थी। लेकिन इस घटना ने उसे सिखाया कि कभी-कभी सच्चाई जानने की कीमत बहुत भारी हो सकती है।
संभावित संवाद:
- “कहानी लिखने वाले को कभी-कभी खुद कहानी का हिस्सा बनना पड़ता है।”
- “सच वही है, जिसे लोग झूठ मानने को तैयार हो जाएं।”
क्या खास:
- एक आम लड़की का असाधारण सफर।
- सस्पेंस और थ्रिल का तालमेल।
- ऐसा ट्विस्ट जो पाठकों को बांध कर रखे।